पर ये अस्तित्व की लड़ाई है तेरे और पहाड़ की ! पर ये अस्तित्व की लड़ाई है तेरे और पहाड़ की !
इंसानी रूप में मेरी ही संवेदनाएं मर गई तुम्हारे लिए। इंसानी रूप में मेरी ही संवेदनाएं मर गई तुम्हारे लिए।
मति छनछन में दुखत जीवन दुखत जीवन कहत समय का फेर है। मति छनछन में दुखत जीवन दुखत जीवन कहत समय का फेर है।
असमय जीव जग से जा रहा, कहते सब, कलयुग का अंत आ रहा। असमय जीव जग से जा रहा, कहते सब, कलयुग का अंत आ रहा।
मैं जन गण की प्यास, बुझा ल्याऊं खुशहाली। मैं जन गण की प्यास, बुझा ल्याऊं खुशहाली।
हाँ, मैं नदी हूँ। बहती हुई मानों कोई सदी हूँ। हाँ, मैं नदी हूँ। बहती हुई मानों कोई सदी हूँ।